Ankita Tiwari
Ankita Tiwari
8 hours ago
Share:

अगर शरीर पर हैं ये 3 चमत्कारी निशान, तो आप भगवान के बहुत खास हैं

क्या आपके शरीर पर कुछ खास और रहस्यमयी निशान हैं? ये सिर्फ निशान नहीं, बल्कि ईश्वर के संकेत हो सकते हैं। जानिए कौन से 3 चिन्ह बताते हैं कि आप भगवान के विशेष कृपापात्र हैं। यदि आपके शरीर पर ऐसे रहस्यमयी निशान हैं, तो यह केवल शारीरिक संयोग नहीं बल्कि आध्यात्मिक संकेत हैं।

हमारे शरीर पर कुछ ऐसे निशान होते हैं, जो केवल शारीरिक बनावट का हिस्सा नहीं होते बल्कि ब्रह्मांड और ईश्वर द्वारा दिए गए दिव्य संकेत होते हैं। ये रहस्यमयी चिन्ह हमें हमारी आत्मिक पहचान और आध्यात्मिक उद्देश्य की ओर इंगित करते हैं। क्या आपने कभी खुद से यह सवाल किया है कि आप बाकी लोगों से अलग क्यों महसूस करते हैं? क्यों बचपन से ही आपके मन में वह सवाल उठते हैं जो बाकी बच्चे कभी सोचते भी नहीं? क्यों भीड़ में रहकर भी आप अक्सर अकेलापन महसूस करते हैं? क्या कभी किसी मौन पल में आपको ऐसा महसूस हुआ है कि कोई है जो आपको देख रहा है जो आपको पुकार रहा है? अगर हां तो यह अनुभव सिर्फ आपके मन की कल्पना नहीं है। यह अनुभव उस आत्मा की पुकार है जिसे संसार ने अब तक ना पहचाना लेकिन जिसे ईश्वर ने पहले ही चुन लिया है। और उस आत्मा को एक विशेष पहचान दी जाती है कुछ दिव्य निशानों के रूप में। परमहंस योगानंद जी ने अपने जीवन में कई बार कहा कि जब कोई आत्मा बहुत सारे जन्मों की यात्रा करके अंततः ईश्वर के पास लौटने के लिए तैयार होती है तब ब्रह्मांड खुद उसके लिए रास्ता बनाता है और उस आत्मा को ईश्वर के द्वारा चिन्हित कर दिया जाता है। शरीर पर, चेतना पर और जीवन की घटनाओं पर। यह चिन्ह, यह निशान सिर्फ शरीर पर बनने वाले आकृति नहीं होते। यह आत्मा के उच्च स्तर पर पहुंचने के संकेत होते हैं। पहला निशान दोनों भो के बीच हल्का तिल या दबाव, आज्ञा चक्र का जागरण। कई लोगों को अपनी दोनों आंखों के बीच के स्थान पर यानी माथे के बीचों-बीच एक हल्का सा तिल, गोल निशान या कभी-कभी कंपन या गर्मी जैसी अनुभूति होती है। कुछ लोगों को यह जगह हमेशा भारी सी लगती है। यह कोई आम अनुभव नहीं है। यह कोई त्वचा की स्थिति नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक द्वार है जिसे योग शास्त्र में आज्ञा चक्र कहा गया है। यही वह केंद्र है जिससे हमारी चेतना ब्रह्मांड से जुड़ती है। जब आत्मा पिछले जन्मों में साधना कर चुकी होती है, तब अगला जन्म मिलते ही यह स्थान सक्रिय होना शुरू हो जाता है। आपको शायद यह एहसास हुआ होगा कि जब आप ध्यान में बैठते हैं या अकेले शांति में बैठे रहते हैं तो इसी स्थान पर कुछ विशेष महसूस होता है जैसे कोई हल्का स्पंदन, कंपन या गर्माहट हो।

कई बार यह असहज भी लगता है, और लोग समझ नहीं पाते कि यह क्या हो रहा है। लेकिन अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो इसे हल्के में मत लीजिए। यह ईश्वर के बुलावे की दस्तक है। यह चिन्ह, यह ऊर्जा बताती है, कि आपकी आत्मा उस द्वार पर खड़ी है, जहां से ब्रह्म ज्ञान की यात्रा शुरू होती है। जो आत्माएं इस बिंदु तक पहुंचती हैं, वे साधारण जीवन नहीं जी पाती। उनके जीवन में शांति और अकेलापन हमेशा बना रहता है। वे बाहर से शांत दिखते हैं, लेकिन उनके अंदर एक गहरी क्रांति चल रही होती है। वे हमेशा खुद से सवाल करते रहते हैं। मैं कौन हूं? मैं यहां क्यों आया हूं? और यह सवाल ही उन्हें उस दिशा में ले जाते हैं, जहां आत्मा अपने असली उद्देश्य को पहचान पाती है। अगर आपके शरीर पर यह निशान है, या यह अनुभव बार-बार होता है, तो ईश्वर ने आपको साधारण नहीं विशेष रूप से चुना है। दूसरा निशान हथेली में त्रिशूल, स्वास्तिक या अन्य पवित्र प्रतीक का आकार बनना। हथेली हमारी आत्मा की कहानी की किताब होती है। आमतौर पर लोग इसे केवल भविष्य बताने का माध्यम समझते हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि हाथ की रेखाएं हमारे पिछले जन्मों की स्मृति भी होती है। परमहंस योगानंद जी कहते थे कि एक आत्मा जब बार-बार पृथ्वी पर जन्म लेती है, और हर जन्म में ध्यान, तपस्या, सेवा और प्रेम का मार्ग चुनती है, तो ब्रह्मांड उस आत्मा को अपने खास चिन्हों से सम्मानित करता है। कुछ लोगों की हथेली में त्रिशूल का आकार बनता है। एकदम स्पष्ट तीन धारियों के रूप में। यह कोई रेखा की टेढ़ीमेढ़ी बनावट नहीं बल्कि उस आत्मा की तपस्या का प्रमाण होता है। त्रिशूल भगवान शिव का प्रतीक है, और जिनकी हथेली में यह बने वे संहारक नहीं बल्कि भीतर के अज्ञान का विनाश करने वाले होते हैं। यह निशान बताता है, कि आप केवल जीवन जीने के लिए नहीं बल्कि दूसरों को भी अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने के लिए जन्मे हैं। कुछ लोगों की हथेली में स्वास्तिक का चिन्ह बनता है। यह और भी दुर्लभ है। स्वास्तिक कोई धार्मिक प्रतीक मात्र नहीं, यह ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रतीक है। जब किसी की हथेली में यह बनता है, तो समझ लीजिए कि वह आत्मा ब्रह्मांड के नियमों से जुड़ी हुई है।

ऐसे लोग जहां जाते हैं वहां एक विशेष ऊर्जा फैलती है। वे चाहे कुछ बोले या ना बोले उनकी उपस्थिति ही लोगों को प्रभावित करती है। अगर आपकी हथेली में ऐसा कोई चिन्ह है, तो आपको खुद को साधारण मानना बंद करना होगा। ईश्वर आपको संकेत दे चुका है, कि आपकी आत्मा तैयार है। अब केवल आपको वह दिशा पकड़नी है, जो इस जीवन को अर्थपूर्ण बना देगी। इन निशानों को देखकर आपको डरने की नहीं जागने की जरूरत है। यह ब्रह्मांड आपसे कुछ कहना चाहता है। यह संसार, यह जीवन, यह शरीर, यह सब एक साधना का माध्यम है। इन निशानों का अर्थ यह नहीं कि आप बाकी लोगों से श्रेष्ठ हैं। बल्कि इसका अर्थ यह है, कि आपको एक गहरी जिम्मेदारी दी गई है। वह जिम्मेदारी क्या है? वह रास्ता कौन सा है जिस पर आपको चलना है? इसका उत्तर आपको तभी मिलेगा जब आप खुद से सच्चा संवाद शुरू करेंगे। तीसरा निशान है, आपकी आंखों की गहराई में बसी एक अलग सी चमक, एक ऐसी दृष्टि जो सब कुछ देखती है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनकी आंखों में कोई रहस्य छिपा होता है। जब वे किसी को देखते हैं तो सामने वाला बेचैन हो जाता है, जैसे उसकी आत्मा तक कोई देख रहा हो। यह नजर सिर्फ आंखों की नहीं आत्मा की होती है। परमहंस योगानंद जी कहते थे कि, जब आत्मा बार-बार साधना, सेवा और तपस्या से गुजरती है तो उसकी आंखों में ब्रह्मांड का प्रतिबिंब दिखाई देने लगता है। अगर आपकी आंखों में गहराई है। अगर लोग आपको देखकर रुक जाते हैं। आपकी ओर खींचते हैं, या आपसे बिना कारण डरते हैं, तो समझ लीजिए कि आपकी दृष्टि साधारण नहीं रही। यह निशान दिखाई तो देता है, पर बहुत कम लोग इसे समझ पाते हैं। यह आंखें उस आत्मा की होती हैं, जिसने बहुत कुछ देखा है। जन्म, मृत्यु, पीड़ा, तपस्या और मौन। जब आप खुद को आईने में देखते हैं, तो क्या कभी आपने अपनी ही आंखों से डर महसूस किया है? या एक ऐसी शांति जो शब्दों में ना आए। अगर हां, तो ईश्वर आपके भीतर बोल रहा है। जिनकी आंखें इस स्तर पर पहुंच जाती हैं वे अक्सर बोलते कम हैं, लेकिन उनका मौन भी बहुत कुछ कह जाता है। वे जहां भी जाते हैं, वहां एक अलग ऊर्जा फैलती है।

कुछ लोग उन्हें अलग समझते हैं, तो कुछ उन्हें खतरनाक कह देते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि, वे आत्मा के स्तर पर इतने ऊंचे हो जाते हैं, कि सामान्य लोग उनकी ऊर्जा को समझ ही नहीं पाते। ऐसी आंखों वाले लोग झूठ से असहज हो जाते हैं। उन्हें दिखावा पसंद नहीं होता। वे किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। लेकिन अगर कोई उनके करीब जाता है, तो खुद के अंदर झांकने लगता है। क्योंकि उनके भीतर से झलकता है, सत्य का प्रकाश। अगर आपकी आंखों में यह चमक है, यह मौन शक्ति है, तो यह मात्र संयोग नहीं, यह आत्मा की पूर्णता की निशानी है। और यही वह तीसरा निशान है, जो बताता है कि अब आपकी चेतना इस धरती पर सिर्फ जीने नहीं बल्कि, जागने आई है। इन तीनों निशानों, आज्ञा चक्र की अनुभूति, हथेली में दिव्य प्रतीक और आंखों की रहस्यमय दृष्टि को अगर आपने अनुभव किया है तो यह मत सोचिए कि आप बस किसी संयोग का हिस्सा हैं। नहीं। आप उस यात्रा के पथिक हैं जिसे सिर्फ कुछ आत्माएं ही तय करती हैं। परमहंस योगानंद जी ने कहा था कि जब तुम खुद को पहचानने लगो तब जान लो कि परमात्मा तुम्हें बुला रहा है और इन निशानों के माध्यम से वही बुलावा आपके जीवन में उतर चुका है। अब समय आ गया है कि आप उस दिशा में पहला कदम बढ़ाएं। अपने अंदर उतरिए। ध्यान कीजिए। मौन में बैठिए और ईश्वर से संवाद कीजिए। यह वीडियो कोई जानकारी नहीं। यह एक दर्पण है जिसमें आप अपनी आत्मा को देख सकते हैं। यह संकेत आपके जीवन की दिशा बदल सकते हैं अगर आपने इन्हें गंभीरता से लिया। अगर आपको इस वीडियो ने कुछ भी महसूस कराया हो, अगर आपके भीतर एक भी सवाल उठा हो, अगर आप सच में इन निशानों को अपने जीवन में पहचानते हैं, तो नीचे कमेंट करके जरूर बताइए। यह मंच सिर्फ एक चैनल नहीं, यह साधकों का परिवार है। अगर आपको यह वीडियो पसंद आया हो तो, इसे उन लोगों तक जरूर पहुंचाएं जो शायद अभी तक इन इशारों को नजरअंदाज कर रहे हैं। वीडियो को लाइक करें, कमेंट करें और सबसे जरूरी चैनल को अभी सब्सक्राइब करें ताकि अगली बार जब हम आपकी आत्मा की अगली परत को खोलें तो आप उससे चूक ना जाएं। आपका समय अमूल्य है। इसे आपने हमारे साथ बिताया। इसके लिए दिल से धन्यवाद। मिलते हैं अगली वीडियो में। एक और आध्यात्मिक रहस्य के साथ। तब तक के लिए जागते रहिए, ध्यान करते रहिए और खुद से जुड़े रहिए।